अलवर जिले की माता रानी पहाड़ी पर इस बार नवरात्र के दौरान दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। खूब बारिश होने के कारण जगह-जगह रास्ते टूट गए हैं। सिंगल रोड और खतरनाक मोड़ों से होकर मंदिर तक पहुँचना जोखिम भरा है। हालांकि भक्तों के लिए खुशखबरी यह रही कि इस बार दोपहिया वाहनों से मंदिर तक जाने की अनुमति दी गई।
मंदिर के पंडित महाराज ने श्रद्धालुओं को खास चेतावनी दी कि क्षेत्र में बाघिन का बसेरा है। इसलिए बाइक से जाने वालों को सावधानी बरतनी चाहिए और हेलमेट पहनकर ही यात्रा करनी चाहिए।
लेकिन इसी बीच वन राज्यमंत्री संजय शर्माअपनी टोली के साथ करणी माता के दर्शन के लिए बाइक से निकल पड़े। मंत्रीजी खुद बिना हेलमेट सवार हुए और जिस चालक के पीछे बैठे थे, उसने भी हेलमेट की स्ट्रिप नहीं बांधी थी। अन्य कई सवार तो पूरी तरह बिना हेलमेट ही चल पड़े।
रास्ते में यात्रा का वीडियो बना और उसे माता के भजन के साथ सोशल मीडिया पर रील के रूप में डाला गया। वन राज्यमंत्री संजय शर्मा ने मंदिर में दर्शन किए और उसी अंदाज में बाइक पर लौट भी आए।
सवाल यह है कि जब आम जनता के लिए हेलमेट पहनना और स्ट्रिप बांधना कानूनन अनिवार्य है, तो वन राज्यमंत्री संजय शर्मा पर यह नियम क्यों लागू नहीं हुआ? क्या नेताओं और अधिकारियों के लिए अलग नियम हैं और जनता के लिए अलग?