जयपुर हेरिटेज नगर निगम से जुड़ा एक बड़ा राजनीतिक और प्रशासनिक घटनाक्रम सामने आया है। मेयर मुनेश गुर्जर को पद से हटाए जाने के बाद अब राज्य सरकार ने नगर निगम के पूर्व मेयर, डिप्टी मेयर और 9 पार्षदों के खिलाफ गिरफ्तारी की तैयारी शुरू कर दी है। यह कार्रवाई नगर निगम के पूर्व एडिशनल कमिश्नर राजेंद्र वर्मा की गंभीर शिकायत के आधार पर की जा रही है, जिन्होंने जून 2023 में माणक चौक थाने में FIR दर्ज कराई थी।
वर्मा ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि उन्हें बंधक बनाया गया, अशब्द कहे गए, धमकाया गया, और पार्षदों द्वारा जबरन फाइलों पर हस्ताक्षर करने के लिए जातिसूचक गालियों के साथ प्रताड़ित किया गया। FIR में सरकारी कार्य में बाधा डालने, अपमानजनक भाषा के प्रयोग, बदसलूकी और जातीय उत्पीड़न जैसे गंभीर धाराएं दर्ज की गई हैं।
इस प्रकरण को लेकर यूडीएच राज्यमंत्री झाबर सिंह खर्रा ने स्पष्ट कर दिया है कि FIR में नामजद सभी पार्षदों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने बताया कि संबंधित पार्षदों द्वारा राजस्थान हाईकोर्ट में FIR रद्द करने की याचिका लगाई गई थी, जिसे अस्वीकार कर दिया गया है। अब वे गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह और पुलिस अधिकारियों से मुलाकात कर आगे की कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 में नगर निगम के एडिशनल कमिश्नर के निलंबन की मांग को लेकर तत्कालीन मेयर मुनेश गुर्जर के नेतृत्व में पार्षदों ने धरना भी दिया था। उस समय अस्थाई सफाई कर्मचारियों की फाइल पर हस्ताक्षर कराने को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ था। यही विवाद बाद में गंभीर कानूनी विवाद में बदल गया। इस दौरान कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को हस्तक्षेप कर धरना समाप्त करवाना पड़ा था।
अब जिन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज है, उनमें मुनेश गुर्जर, डिप्टी मेयर असलम फारुखी, पार्षद उमर दराज, नीरज अग्रवाल, शफीक कुरैशी, सुनिता मावर, राबिया गुडएज, अंजलि ब्रह्मभट्ट, फरीद कुरैशी, पार्षद पति मोहम्मद अख्तर, आयशा सिद्दीकी, पार्षद पति फूलचंद, पार्षद पुत्र शाकिर, मेयर पति सुशील गुर्जर और बसंत असवाल शामिल हैं। अब प्रशासन इन सभी के खिलाफ आपराधिक और विभागीय स्तर पर कार्रवाई करेगा।