बारां जिले की अंता विधानसभा सीट से भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा की अयोग्यता के मामले ने प्रदेश की राजनीति में उबाल ला दिया है। कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की भूमिका पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि वे जानबूझकर निर्णय नहीं ले रहे हैं और राज्यपाल हरिभाऊ बागडे से विधायक की सजा माफ करवाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। मालूम हो कि कंवरलाल मीणा को 20 साल पुराने मामले में दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई 2025 को उनकी विशेष अनुमति याचिका (SLP) खारिज करते हुए दो सप्ताह में कोर्ट में सरेंडर करने का आदेश दिया था, जिसकी समयसीमा लगभग समाप्त हो चुकी है। कांग्रेस का कहना है कि इस मामले में राज्यपाल हरिभाऊ बागडे अनुच्छेद 161 के तहत सजा माफ या कम करने की शक्ति का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन यह संविधान की भावना और न्याय की मूल आत्मा के विरुद्ध होगा। अगर सजा दो साल से अधिक है, तो कानूनन व्यक्ति विधानसभा सदस्य नहीं रह सकता और उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त मानी जाती है। ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से सिर्फ औपचारिक निर्णय ही शेष रह जाता है।
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार राज्यपाल हरिभाऊ बागडे को बिना मंत्रिपरिषद की सलाह के भी सजा माफ करने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार सीमित और न्यायिक विवेक के अधीन है।
कांग्रेस का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी जानबूझकर देरी कर रहे हैं, ताकि राज्यपाल हरिभाऊ बागडे की सजा माफी प्रक्रिया पूरी हो जाए। जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश और 2 साल से अधिक की सजा के बावजूद अब तक भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा की अयोग्यता पर निर्णय नहीं लिया गया है। 3 फरवरी 2005 को झालावाड़ के मनोहर थाने के पास मतदान विवाद को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा था। मौके पर पहुंचे एसडीएम रामनिवास मेहता, प्रोबेशनर आईएएस प्रीतम बी. यशवंत व तहसीलदार से कंवरलाल मीणा ने पिस्टल तानकर जान से मारने की धमकी दी थी और चुनाव प्रक्रिया में बाधा डाली थी। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 2018 में उन्हें दोषमुक्त कर दिया था, लेकिन एडीजे कोर्ट ने फैसला पलटते हुए उन्हें दोषी ठहराया। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को कायम रखा। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने फिलहाल राज्य के महाधिवक्ता से विधिक राय मांगी है। उन्होंने कहा है कि राय मिलते ही मीणा की सदस्यता को समाप्त करने पर विधिसम्मत निर्णय लिया जाएगा