राजस्थान की राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब बागीदौरा से भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के विधायक जयकृष्ण पटेल को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने 20 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। यह रिश्वत कथित रूप से करौली जिले के टोडाभीम विधानसभा क्षेत्र में सोप स्टोन खनन करने वाली टालकोस इंडिया एलएलपी कंपनी से ली जा रही थी।
इस पूरे प्रकरण में भाजपा के पूर्व प्रत्याशी रामनिवास मीणा ने खुलासा करते हुए दावा किया कि विधायक पटेल पिछले दो महीनों से उन्हें और उनके बेटे रविंद्र मीणा को धमका रहे थे। उन्होंने बताया कि पटेल ने विधानसभा में खनन संबंधी प्रश्न हटाने के एवज में 10 करोड़ रुपये की मांग की थी, पर मामला 2.5 करोड़ में तय हुआ।
रामनिवास मीणा ने यह भी आरोप लगाया कि इस ब्लैकमेलिंग रैकेट का मुख्य सूत्रधार कांग्रेस के टोडाभीम विधायक घनश्याम महर हैं, जो पर्दे के पीछे रहकर पूरे खेल को संचालित कर रहे थे और BAP विधायक को आगे कर डीलिंग करवा रहे थे।
घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है और ACB द्वारा घनश्याम महर की भूमिका की भी जांच की जा रही है। इस मामले ने प्रदेश की सियासत में एक और बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि जयकृष्ण पटेल पहले शिक्षक हुआ करते थे, नौकरी से इस्तीफा देने के बाद पार्टी से जुड़े। एक बार बीटीपी से चुनाव लड़े थे, मगर हार गए थे। घूसकांड के छींटे लगने के बाद भारत आदिवासी पार्टी के लिए राजनीतिक तौर पर यह समला सुलझाना पार्टी के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है।
3 अप्रेल, 2024 को उपचुनाव के लिए दाखिल नामांकन में जयकृष्ण ने अपनी कुल सम्पत्ति डेढ़ लाख रुपए की बताई थी, जिसमें चांदरवाड़ा एसबीआई शाखा में 500 रुपए, बांसवाड़ा की एक्सिस बैंक शाखा में 500 रुपए, नगदी 50 हजार रुपए, 35 हजार रुपए कीमत के चांदी के जेवरात शामिल थे। उनके पास वाहन के नाम पर बाइक तक नहीं थी। यह सम्पत्ति खेती से अर्जित करने की जानकारी निर्वाचन आयोग को दी थी।