Friday, 31 January 2025

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल: ‘कश्मीर’ पर चर्चा के दौरान कश्मीर की छवि को लेकर असहमति, एमके रैना मंच छोड़कर चले गए, इला अरुण ने जताई आपत्ति


जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल: ‘कश्मीर’ पर चर्चा के दौरान कश्मीर की छवि को लेकर असहमति, एमके रैना मंच छोड़कर चले गए, इला अरुण ने जताई आपत्ति

जयपुर: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) के चारबाग मंच पर चल रहे सेशन ‘मेमोरीज फ्रॉम द स्क्रीन एंड स्टेज’ में थिएटर और सिनेमा से जुड़े दिग्गजों के बीच कश्मीर को लेकर विवाद हो गया।

थिएटर एक्टर और डायरेक्टर एमके रैना, अभिनेत्री-संगीतकार इला अरुण और अंजुला बेदी इस सेशन में शामिल थे, जिसे असद लालजी मॉडरेट कर रहे थे।

एमके रैना ने फिल्मों में कश्मीर की गलत छवि पर जताई आपत्ति: चर्चा के दौरान एमके रैना ने कहा कि बॉलीवुड और अन्य फिल्म इंडस्ट्री कश्मीर को गलत तरीके से प्रस्तुत कर रही हैं।

मैं कश्मीर पर बनने वाली खराब फिल्मों को देख रहा हूं,जो उस पर तरह-तरह के आरोप लगाती हैं। ये गलत फिल्में हैं। कश्मीर को बिल्कुल भी सही ढंग से नहीं दिखाया जा रहा है, क्योंकि वे उस राज्य को जानते ही नहीं हैं। मैं इस पर कड़ी आपत्ति जताता हूं। हालांकि उन्होंने किसी विशेष फिल्म का नाम नहीं लिया।

इला अरुण अपने नाट्य अनुभव साझा कर रही थीं, तभी मंच छोड़कर चले गए रैना: एमके रैना के इस बयान के बाद इला अरुण ने कश्मीर में किए गए अपने नाटकों के अनुभव साझा करने शुरू किए। लेकिन चर्चा के बीच में ही एमके रैना अचानक उठकर चले गए। इला अरुण ने जब पीछे मुड़कर देखा तो वह मौजूद नहीं थे। जब असद लालजी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि शायद वह समय अधिक लगने की वजह से चले गए। इस पर इला अरुण ने आपत्ति जताते हुए कहा कि इस बात पर उन्हें गुस्सा नहीं आना चाहिए था।

क्या यह असहमति थी या कोई और वजह? एमके रैना का मंच छोड़कर जाना महज संयोग था या फिर किसी गहरे मतभेद का संकेत?

क्या वह कश्मीर पर अपनी राय को लेकर असहज थे, या चर्चा की दिशा से असहमति थी?

क्या वह कश्मीर पर बनने वाली फिल्मों पर अपनी बात को और जोर देकर रखना चाहते थे?

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