Thursday, 30 January 2025

"जातिवाद के कारण मेरा परिवार झुका, समाज के ठेकेदारों से मांगनी पड़ी माफी" मैंने 'सत्यार्थी' अपनाया" : कैलाश सत्यार्थी


"जातिवाद के कारण मेरा परिवार झुका, समाज के ठेकेदारों से मांगनी पड़ी माफी" मैंने 'सत्यार्थी' अपनाया" : कैलाश सत्यार्थी

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने जातिवाद और समाज में भेदभाव के अपने अनुभव साझा किए। ‘दियासलाई’ सेशन में बोलते हुए उन्होंने कहा कि जातिवादी सोच और ऊंच-नीच के व्यवहार से परेशान होकर उन्होंने अपने नाम से 'शर्मा' हटाकर 'सत्यार्थी' जोड़ लिया।

"मैं मध्यप्रदेश के एक ब्राह्मण परिवार में जन्मा। मेरा नाम कैलाश शर्मा था, लेकिन जातिवादी सोच और समाज की रूढ़िवादी मानसिकता को देखकर मैंने इसे बदलने का निर्णय लिया," सत्यार्थी ने कहा।

जातिवाद के कारण मेरे परिवार को झुकना पड़ा: सत्यार्थी ने बताया कि जब उन्होंने अपना नाम बदला और जाति व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई, तो उन्हें जाति से बाहर कर दिया गया। "लोगों ने मेरे परिवार पर दबाव डाला, उन्हें समाज के ठेकेदारों के सामने झुकने और माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया," उन्होंने कहा। उनके इस खुलासे से सेशन में मौजूद दर्शकों में सन्नाटा छा गया, फिर तालियों की गूंज ने इस साहसिक निर्णय का समर्थन किया।

सामाजिक भेदभाव के खिलाफ उठाई आवाज: कैलाश सत्यार्थी बचपन से ही सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ते आए हैं। उन्होंने कहा कि जातिवाद के कारण हुए भेदभाव ने ही उन्हें सामाजिक बंधनों से मुक्त होकर मानवता की सेवा में जुटने की प्रेरणा दी।

उन्होंने कहा कि "मेरी लड़ाई किसी जाति विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि हर उस भेदभाव के खिलाफ है, जो इंसान को इंसान से अलग करता है"।

Previous
Next

Related Posts