Thursday, 30 January 2025

जेएलएफ 2025: सुधा मूर्ति ने परिवार, बचपन और जिज्ञासा पर साझा किए विचार हर छोटी चीज को एंजॉय करना ही असली खुशी


जेएलएफ 2025: सुधा मूर्ति ने परिवार, बचपन और जिज्ञासा पर साझा किए विचार हर छोटी चीज को एंजॉय करना ही असली खुशी

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) 2025 में प्रसिद्ध लेखिका और समाजसेवी सुधा मूर्ति ने अपनी नवीनतम पुस्तक ‘कोकोनट एंड बर्फी’ पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने परिवार, बचपन, जिज्ञासा और खुश रहने के छोटे-छोटे तरीकों पर अपने विचार व्यक्त किए।

सुधा मूर्ति ने कहा कि आज के दादा-दादी और नाना-नानी टीवी सीरियल्स और बनावटी परिवारों की कहानियों में व्यस्त रहते हैं, जबकि असली पारिवारिक मूल्यों पर ध्यान देना सबसे जरूरी है।"बचपन और जिज्ञासा पर सुधा मूर्ति की बातें "जब आपके मन में कुछ अलग करने की इच्छा और जिज्ञासा हो, तो वही बचपना है।" उन्होंने कहा कि मैं कभी 70 साल की सुधा मूर्ति नहीं बन सकती, जब तक मैंने 8 साल के बचपने को नहीं जाना।""सीखने की कोई उम्र नहीं होती। कोई भी किसी भी समय नया सीख सकता है।"

उन्होंने कहा कि बच्चे केवल पढ़ाई से नहीं, बल्कि अपने आसपास की दुनिया से भी बहुत कुछ सीखते हैं। अगर हम बचपन की जिज्ञासा को बनाए रखें, तो उम्र बढ़ने के बावजूद हम नई चीजें सीख सकते हैं।

खुश रहने के छोटे-छोटे तरीके:"खुश रहने के लिए बड़ी वजह की जरूरत नहीं होती।" "हर छोटी चीज को एंजॉय करना ही असली खुशी है।"  "मुझे हर छोटी चीज खुश कर देती है।"

भारतीय संस्कृति और साहित्य की समृद्धि:भारतीय साहित्य और संस्कृति की विशेषताओं पर चर्चा करते हुए सुधा मूर्ति ने कहा, "विदेशों में महज गिनी-चुनी कहानियां हैं, जबकि भारत की हर चीज अपने कल्चर को दर्शाती है।" "हमारे पास इतनी कहानियां, परंपराएं और किस्से हैं, जो भारत को अनोखा बनाते हैं।"

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत की विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर हमें अपनी पहचान पर गर्व करने का अवसर देती है।

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