अजमेर: जिले के श्रीनगर थाना क्षेत्र के लवेरा गांव में दलित दूल्हे विजय रैगर की बारात मंगलवार को पुलिस की कड़ी सुरक्षा में निकाली गई। बारात में बारातियों से ज्यादा संख्या में पुलिसकर्मी नजर आए। 75 पुलिसकर्मियों, 20 महिला कॉन्स्टेबल, और ड्रोन की निगरानी में बारात शांतिपूर्ण तरीके से निकाली गई। यह मामला 20 साल पहले एक शादी में हुए विवाद के कारण संवेदनशील माना जा रहा था।
20 साल पुराना विवाद:
यह घटना 9 जुलाई 2005 की है, जब नारायण रैगर की बहन सुनीता की शादी में गांव के कुछ प्रभावशाली वर्ग के लोगों ने घोड़ी पर दूल्हे को बैठने से रोक दिया था। उस समय पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के इंतजाम किए थे, लेकिन दबाव के चलते घोड़ी वाला बारात से घोड़ी लेकर चला गया। नतीजतन, दूल्हे को पुलिस जीप में बैठाकर बारात निकाली गई थी।
मानवाधिकार आयोग से सुरक्षा की मांग:
इसी घटना के कारण मंगलवार को नारायण रैगर ने अपनी बेटी अरुणा की शादी में किसी भी विवाद की आशंका को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से सुरक्षा मांगी। मानवाधिकार आयोग की ओर से निर्देश मिलने पर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए।
सुरक्षा में निकली बारात:
बारात दोपहर करीब 2.30 बजे विवाह स्थल पर पहुंची। बारात का रूट तय करते हुए चारभुजा भगवान और देवनारायण भगवान के मंदिर के रास्ते से बारात निकालने और ढोल बजाने पर रोक लगाई गई। दोनों पक्षों ने सहमति जताई, जिससे कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ।
दिनेश और सुनीता की खुशी:
20 साल पहले विवाद का सामना कर चुके दिनेश और सुनीता इस बार दूल्हे विजय को घोड़ी पर बैठे देख बेहद खुश थे। उन्होंने कहा, "यह हमारे लिए गर्व का क्षण है।"
एडिशनल एसपी का बयान:
एडिशनल एसपी दीपक कुमार शर्मा ने बताया कि, "गांव के लोगों और वर-वधू पक्ष से चर्चा कर सुरक्षा इंतजाम किए गए थे। किसी भी विवाद की स्थिति न हो, इसके लिए पूरे क्षेत्र की निगरानी ड्रोन और अतिरिक्त पुलिस बल से की गई।