Friday, 10 January 2025

जयपुर: मानसरोवर जोन में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण के लिए 174 रु. प्रति घर चार्ज वसूलेगी नई कंपनी


जयपुर: मानसरोवर जोन में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण के लिए 174 रु. प्रति घर चार्ज वसूलेगी नई कंपनी

जयपुर ग्रेटर नगर निगम ने मानसरोवर जोन में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण के लिए नई कंपनी को ठेका दे दिया है। रवि ट्रेवल्स कंपनी फरवरी से यह काम शुरू करेगी। इसके तहत प्रति घर 174 रुपए वसूले जाएंगे। निगम 94 रुपए देगा, जबकि कंपनी 80 रुपए सीधे लोगों से वसूलेगी।

मानसरोवर जोन में सफाई की नई व्यवस्था: पहले:नेचर ग्रीन टूर्ल्स एंड मशीन प्राइवेट लिमिटेड कचरा संग्रहण का काम देख रही थी।38 लाख रु. प्रतिमाह के हिसाब से कचरा संग्रहण किया जा रहा था।छोटी गलियों में ई-रिक्शा का इस्तेमाल किया जाता था।

अब:रवि ट्रेवल्स कंपनी को ठेका दिया गया है।नई व्यवस्था में निगम को हर महीने 1.05 करोड़ रुपए देने होंगे।बड़ी गलियों में 62 बड़े हूपर वाहनों का इस्तेमाल किया जाएगा, जिनकी क्षमता 900 किलो होगी।

यूजर चार्ज और सफाई का गणित:मानसरोवर जोन में कुल 21 वार्ड हैं, जहां करीब 80,000 घरों से रोजाना 160 टन कचरा निकलता है।

यूजर चार्ज: हर घर से 174 रुपए वसूले जाएंगे।निगम 94 रुपए देगा, जबकि 80 रुपए लोगों से लिए जाएंगे।

पहले के मुकाबले खर्च ढाई गुना बढ़ा:नई व्यवस्था में कचरा संग्रहण का खर्च ढाई गुना बढ़कर 1.05 करोड़ हो गया है। वहीं, वार्ड और घरों की संख्या में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

मुरलीपुरा और मालवीय नगर में पहले से लागू है व्यवस्था: मालवीय नगर और मुरलीपुरा जोन में वी-केयर कंपनी पहले से यह काम कर रही है। वहां निगम कंपनी को 118 रुपए देता है और 80 रुपए लोगों से वसूले जाते हैं।

निगम की चुनौतियां और दावे:बड़ी गलियों में सफाई के लिए बड़े हूपर का इस्तेमाल होगा, लेकिन छोटी गलियों में सफाई कैसे होगी, यह देखना बाकी है।निगम के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर नितिन ने कहा कि काम फरवरी से शुरू होगा और सभी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं।

नगरीय उपकर भी लिया जा रहा है: बिजली के बिल में पहले से ही 50 से 100 रुपए नगरीय उपकर के रूप में वसूले जा रहे हैं, जिसे स्ट्रीट लाइट, सीवर, और सफाई के नाम पर लिया जाता है।

विशेष तथ्य:मानसरोवर जोन:जयपुर के दूसरे सबसे बड़े क्षेत्र के रूप में 2665 किमी की सड़कों का दायरा।झोटवाड़ा जोन पहले स्थान पर है, जिसकी सड़कों का दायरा 3167 किमी है।

नई तकनीक:62 बड़े हूपर वाहनों का इस्तेमाल। 900 किलो की क्षमता।

जयपुर के नागरिकों को नई व्यवस्था से सफाई व्यवस्था में सुधार की उम्मीद है, लेकिन बढ़े हुए खर्च और छोटी गलियों में सफाई के प्रबंधन को लेकर सवाल बने हुए हैं।

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