राजस्थान हाईकोर्ट ने नॉन आरएएस अधिकारियों को आईएएस में प्रमोशन देने पर लगी रोक को हटा दिया है। यह फैसला जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने सुनाया। अदालत ने आरएएस एसोसिएशन की याचिका को खारिज करते हुए इसे व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते दायर याचिका करार दिया और 5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।
फैसले का पृष्ठभूमि: 7 जुलाई 2023:राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएएस एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए नॉन आरएएस से आईएएस प्रमोशन पर रोक लगाई थी। 26 नवंबर 2024: सुनवाई पूरी हुई और फैसला सुरक्षित रखा गया। 5 दिसंबर 2024: कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए रोक हटाई।
सरकार की दलील: अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा:द इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (रिक्रूटमेंट) रूल्स 1954 के तहत, राज्य सरकार को 15% पदों पर नॉन आरएएस अधिकारियों को प्रमोट करने की अनुमति है।सरकार ने कभी भी इस सीमा को पार नहीं किया।नॉन आरएएस से प्रमोशन उन्हीं अधिकारियों का होता है, जो विशेषज्ञता रखते हैं और जिनकी आवश्यकता राज्य को विशेष परिस्थितियों में होती है।
आरएएस एसोसिएशन की आपत्ति: एडवोकेट तनवीर अहमद ने एसोसिएशन की ओर से तर्क दिया: विशेष परिस्थितियां आवश्यक: नॉन सिविल सर्विसेज अधिकारियों को प्रमोशन तभी दिया जा सकता है, जब राज्य में विशेष परिस्थितियां उत्पन्न हो।
योग्यता: नॉन सिविल सर्विसेज अधिकारियों में ऐसी विशेष योग्यता होनी चाहिए, जो मौजूदा सिविल सर्विसेज अधिकारियों में न हो।
अपर्याप्त औचित्य: राज्य सरकार पर्याप्त आरएएस अधिकारियों की उपलब्धता के बावजूद नॉन आरएएस से आईएएस में प्रमोशन की सिफारिश कर रही है।
हाईकोर्ट का निर्णय: याचिका को व्यक्तिगत हितों के लिए दायर बताया।कोर्ट ने कहा कि प्रमोशन प्रक्रिया नियमों के तहत और विशेष परिस्थितियों के अनुसार है।याचिका खारिज करते हुए आरएएस एसोसिएशन पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया।
आगे का रास्ता: नॉन आरएएस अधिकारियों के लिए: प्रमोशन का रास्ता अब खुल गया है।सरकार यूपीएससी को सिफारिश भेजकर नॉन आरएएस अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नत कर सकेगी।
आरएएस एसोसिएशन के लिए: अदालत ने स्पष्ट किया है कि निजी स्वार्थ के आधार पर याचिकाएं दायर करना अनुचित है।एसोसिएशन को अब कानूनी रूप से अपने हितों के लिए नई रणनीति बनानी होगी।
विश्लेषण: यह फैसला राज्य सरकार के लिए एक बड़ी राहत है, क्योंकि इससे न केवल विशेषज्ञता वाले अधिकारियों को प्रमोशन मिल सकेगा, बल्कि प्रशासन में विशेष परिस्थितियों के लिए योग्य व्यक्तियों को शामिल करने का अवसर मिलेगा।
हाईकोर्ट के इस फैसले से नॉन आरएएस अधिकारियों को आईएएस में प्रमोशन का रास्ता साफ हो गया है। यह फैसला सरकारी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता को मजबूत करता है और व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए न्यायपालिका का उपयोग करने के खिलाफ एक सख्त संदेश देता है।