जोधपुर हाईकोर्ट ने गुरुवार को अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और अभिनेता सलमान खान को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया। यह मामला दिसंबर 2017 में चूरू कोतवाली में दर्ज किया गया था, जिसमें वाल्मीकि समाज के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी का आरोप लगाया गया था।
शिल्पा शेट्टी की ओर से एडवोकेट प्रशांत पाटिल ने कोर्ट में दलील पेश की। न्यायाधीश अरुण मोंगा की एकलपीठ ने कहा कि एफआईआर में लगाए गए आरोप कानूनी रूप से अपराध साबित करने के लिए आवश्यक तत्वों को पूरा नहीं करते। कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट के तहत बिना उचित जांच और प्रक्रिया के एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती।
हाईकोर्ट का फैसला:
देरी पर सवाल: कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने में तीन साल की देरी को संदिग्ध बताया।
कानूनी तत्वों की कमी: आरोपों में कानूनी रूप से अपराध सिद्ध करने के लिए आवश्यक तत्व नहीं पाए गए।
धाराओं का मिसमैच: कोर्ट ने बताया कि एससी-एसटी एक्ट की धाराएं 2016 में जोड़ी गईं, जबकि घटना 2013 की है।
अपमान का इरादा नहीं: विवादित शब्दों का उपयोग किसी समुदाय को अपमानित करने के इरादे से नहीं किया गया था।
मामले का पृष्ठभूमि:
दिसंबर 2017 में, सलमान खान और शिल्पा शेट्टी पर वाल्मीकि समाज के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगा।
यह बयान सलमान खान की फिल्म "टाइगर जिंदा है" के प्रमोशन के दौरान एक टीवी इंटरव्यू में दिया गया था।
वाल्मीकि समाज के सदस्यों ने चूरू कोतवाली में दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी।
अहम निष्कर्ष:
हाईकोर्ट के इस फैसले ने न केवल शिल्पा शेट्टी और सलमान खान को राहत दी है, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि बिना उचित प्रक्रिया के एससी-एसटी एक्ट के तहत मामले दर्ज करना गलत है।