जयपुर के आरआईसी सभागार में शनिवार को आयोजित सीए सम्मेलन टेक्सकॉन-2025 'अमृत' का उद्घाटन पीएमएलए अपीलेट ट्रिब्यूनल के चेयरमैन जस्टिस एमएन भंडारी ने किया। कार्यक्रम में आयकर अपीलेट ट्रिब्यूनल के सदस्य मनीष बोरड, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक महेंद्र डोहारे, व अन्य कई गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।
जस्टिस एमएन भंडारी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) और बेनामी संपत्ति मामलों पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि पीएमएलए के अंतर्गत बेनामी और नारकोटिक्स संबंधी मामलों की पैरवी के लिए एलएलबी डिग्री अनिवार्य नहीं है। "सीए प्रोफेशनल्स भी इन मामलों में प्रभावी रूप से पैरवी कर सकते हैं," उन्होंने कहा। उन्होंने यह भी बताया कि आर्थिक अपराधों में दस्तावेजी साक्ष्य की भूमिका ही निर्णायक होती है, न कि केवल कथन या प्रस्तुति की।
सम्मेलन में कानपुर के सीए मनु अग्रवाल ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि सीए समुदाय को AI से डरने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह एक सशक्त सहायक उपकरण बन सकता है जो लेखा परीक्षण, कर योजना और डेटा विश्लेषण में नए अवसर प्रदान करता है। AI के माध्यम से जटिल डेटा को तेज़ी से प्रोसेस किया जा सकता है और क्लाइंट सर्विस डिलीवरी में गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सीए स्टूडेंट्स, प्रैक्टिसिंग प्रोफेशनल्स और अकादमिक विशेषज्ञ उपस्थित रहे। टेक्सकॉन-2025 को समकालीन कर नीति, कॉर्पोरेट गवर्नेंस, फोरेंसिक ऑडिट और टेक्नोलॉजी-इनेबल्ड अकाउंटिंग जैसे विषयों पर केंद्रित किया गया।