जयपुर। जल जीवन मिशन घोटाले (जेजेएम घोटाला) मामले में गिरफ्तार कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री महेश जोशी की जमानत याचिका पर 5 जून गुरुवार को ईडी मामलों की विशेष अदालत में सुनवाई हुई। महेश जोशी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक राज बाजवा ने ईडी की कार्यप्रणाली और जांच प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए। मामले की अब 13 जून को सुनवाई होगी।
बाजवा ने अदालत को बताया कि ईडी ने जिस गवाह की गवाही के आधार पर महेश जोशी को गिरफ्तार किया है, उसकी वीडियोग्राफी तक नहीं करवाई गई, जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों में गवाहों की वीडियोग्राफी जरूरी है। इसके साथ ही कई अन्य तकनीकी और कानूनी खामियों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया।
कोर्ट का तीखा सवाल— 35 कमरे, एक भी खाली नहीं?
ईडी की ओर से पेश जांच अधिकारी (IO) ने तर्क दिया कि ऑफिस में जगह नहीं होने के कारण गवाह की वीडियोग्राफी नहीं की जा सकी। इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए पूछा कि ईडी दफ्तर में कुल कितने कमरे हैं। जवाब में IO ने बताया कि 35 कमरे हैं। इस पर कोर्ट ने आश्चर्य जताया और पूछा कि क्या दो साल में एक भी कमरा खाली नहीं हुआ, जबकि यह गवाही 2 सितम्बर 2023 को दर्ज की गई थी।
गवाह ने रिश्वत लेने की बात कबूली, फिर आरोपी क्यों नहीं बनाया?
वरिष्ठ अधिवक्ता बाजवा ने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाते हुए कहा कि ईडी के मुख्य गवाह, जो PHED का इंजीनियर है, उसने स्वयं स्वीकार किया है कि उसने रिश्वत ली और दूसरों को दी, लेकिन उसे आरोपी नहीं बनाया गया, जोकि जांच की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
एक साल बाद अचानक गिरफ्तारी पर सवाल उन्होंने यह भी बताया कि ईडी ने महेश जोशी को मार्च 2024 में नोटिस भेजा था, लेकिन गिरफ्तारी अप्रैल 2025 में की गई। इस एक साल की चुप्पी के बाद अचानक कार्रवाई करना पूर्वनियोजित बदनियती को दर्शाता है। यह सब इस ओर इशारा करता है कि महेश जोशी को जानबूझकर झूठा फंसाया गया है।
जेजेएम घोटाले की पृष्ठभूमि
ईडी और एसीबी की जांच के अनुसार, जल जीवन मिशन योजना में ठेकेदारों द्वारा फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर कई करोड़ रुपए के टेंडर हासिल किए गए।
श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने 68 निविदाओं में भाग लिया और 31 में एल-1 बनकर 859.2 करोड़ रुपए के टेंडर हासिल किए।
श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी ने 169 निविदाओं में भाग लिया और 73 टेंडर जीतकर 120.25 करोड़ रुपए के टेंडर हासिल किए।
जांच के दौरान अब तक महेश जोशी, संजय बड़ाया, पीयूष जैन और महेश मित्तल की गिरफ्तारी हो चुकी है। एसीबी के बाद ईडी और अब सीबीआई भी 3 मई 2024 से इस मामले में जांच कर रही है।