जयपुर | राजस्थान की राजनीति में भाजपा ने इस बार एक अनोखा और साहसिक प्रयोग किया है। पार्टी ने सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक चन्द्रभान सिंह आक्या को संगठनात्मक कार्य में अहम जिम्मेदारी सौंपी है।
आक्या ने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ बगावत करते हुए चुनाव लड़ा और स्वतंत्र रूप से जीत दर्ज की थी। अब उन्हें 'संकल्प से सिद्धि' अभियान के तहत उदयपुर देहात का संयोजक नियुक्त किया गया है।
इस फैसले ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। पार्टी के अंदर ही इस कदम को लेकर चर्चा तेज हो गई है, क्योंकि यह पहली बार हुआ है जब भाजपा ने संगठन के किसी आंतरिक कार्यक्रम में संगठन से बाहर के व्यक्ति को अधिकारिक भूमिका दी हो, वो भी ऐसे व्यक्ति को जिसने चुनाव में पार्टी को हराया हो। कुछ भाजपा नेताओं का मानना है कि यह कदम राजनीतिक समावेशन और संगठन विस्तार की दिशा में सकारात्मक प्रयास है। वहीं कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ता इस निर्णय को संगठनात्मक अनुशासन और निष्ठा के सिद्धांतों के विरुद्ध मान रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह भाजपा की रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसके तहत वह चुनाव जीतने वाले प्रभावशाली चेहरों को संगठन से जोड़कर आगामी चुनावों के लिए सामाजिक संतुलन और प्रभाव क्षेत्र मजबूत करना चाहती है।