Friday, 06 June 2025

15 साल तक शारीरिक संबंध नहीं बनाए, कोर्ट ने माना मानसिक क्रूरता, पति को तलाक की मंजूरी


15 साल तक शारीरिक संबंध नहीं बनाए, कोर्ट ने माना मानसिक क्रूरता, पति को तलाक की मंजूरी

जयपुर। जयपुर महानगर प्रथम की फैमिली कोर्ट-4 ने विवाह के बाद शारीरिक संबंध नहीं बनाने को मानसिक क्रूरता की श्रेणी में मानते हुए एक पति को तलाक की मंजूरी दे दी है। जज पवन कुमार ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि पति-पत्नी के बीच 15 वर्षों तक शारीरिक संबंध नहीं बनना और साथ न रहना, विवाहिक जीवन की मूल भावना के विपरीत है और यह मानसिक प्रताड़ना के दायरे में आता है।

मामला जयपुर निवासी एक दंपती से जुड़ा है। पति ने अदालत में याचिका दाखिल कर कहा कि शादी की पहली रात से ही पत्नी ने शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया था। वह हमेशा परिवार से अलग रहने की जिद करती, और जब उसकी बात नहीं मानी जाती तो आत्महत्या की धमकी देती या झूठे मुकदमे में फंसाने की बात कहती।

दूसरी ओर, पत्नी ने जवाब में आरोप लगाया कि पति के अन्य महिलाओं से संबंध थे, इसलिए वह स्वयं शारीरिक संबंध में रुचि नहीं दिखाता था।

फैसले में कोर्ट ने कहा कि विवाह की मूल आत्मा ही दांपत्य संबंध है, और यदि शादी के 15 साल बाद भी शारीरिक संबंध नहीं बने, तो यह वैवाहिक संबंध की पुनर्स्थापना को असंभव बना देता है। पत्नी बिना किसी न्यायसंगत कारण के दो साल से अधिक समय से अलग रह रही है, जिसे कोर्ट ने अभित्यजन (desertion) माना।

न्यायालय ने कहा कि विवाह एक सामाजिक, मानसिक और शारीरिक बंधन है। यदि इनमें से कोई भी पहलू निरंतर अनुपस्थित हो तो यह मानसिक क्रूरता के रूप में लिया जा सकता है।

इस आधार पर कोर्ट ने पति की तलाक याचिका को स्वीकार करते हुए विवाह विच्छेद (तलाक) की अनुमति प्रदान की है।

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