जयपुर। पूर्व मंत्री महेश जोशी की जमानत याचिका पर शुक्रवार को ईडी मामलों की विशेष अदालत में सुनवाई नहीं हो सकी। जानकारी के अनुसार विशेष न्यायाधीश के अवकाश पर होने के कारण आज सुनवाई टाल दी गई। अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आगामी सप्ताह में जोशी की जमानत याचिका पर बहस करेगी।
इससे पूर्व मंगलवार को महेश जोशी के अधिवक्ता विवेक राज बाजवा ने अदालत में दलील दी थी कि जिस एसीबी की एफआईआर के आधार पर ईडी ने मामला दर्ज किया है, उसमें पूर्व मंत्री महेश जोशी का नाम तक नहीं है। ईडी ने जिस लेनदेन को लेकर प्राथमिकी दर्ज की, वह जुलाई 2023 में महेश जोशी के बेटे की कंपनी को दिए गए लोन से जुड़ा है, जिसे कुछ महीनों में ही लौटा दिया गया था।
बावजूद इसके, ईडी ने एक वर्ष बाद मार्च 2024 में समन भेजा और महेश जोशी की ओर से दस्तावेज सहित जवाब भी दे दिया गया। इसके बावजूद ईडी ने लम्बे समय तक कोई कार्रवाई नहीं की और अब यह पूरा मामला राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम बताया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि यह मामला जल जीवन मिशन योजना (जेजेएम) से जुड़ा हुआ है, जिसमें फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर करोड़ों रुपये के टेंडर प्राप्त किए गए थे। इस घोटाले में अब तक पीयूष जैन, पदम चंद जैन, महेश मित्तल और संजय बड़ाया की गिरफ्तारी हो चुकी है।
जानकारी के अनुसार, श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी और श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने वर्ष 2021 में फर्जी अनुभव प्रमाणपत्रों के आधार पर जलदाय विभाग से बड़ी संख्या में टेंडर हासिल किए। श्री गणपति कंपनी ने 68 निविदाओं में भाग लिया, जिनमें से 31 में एल-1 रहते हुए 859.2 करोड़ के टेंडर प्राप्त किए। वहीं श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी ने 169 निविदाओं में भाग लिया और 73 निविदाएं जीतकर लगभग 120.25 करोड़ के टेंडर प्राप्त किए।
जांच की शुरुआत एसीबी ने की थी और बाद में ईडी ने अपनी जांच में पूर्व मंत्री महेश जोशी और सहयोगी संजय बड़ाया सहित अन्य के ठिकानों पर छापे मारे। इसके पश्चात सीबीआई ने भी 3 मई 2024 को मामला दर्ज किया, और ईडी ने 4 मई को अपनी जांच पूरी कर सबूत और दस्तावेज एसीबी को सौंप दिए।