Sunday, 01 June 2025

राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन विवाद: जयदीप बिहाणी ने धनंजय सिंह खींवसर पर लगाएं गंभीर आरोप, बोले- अब बहुमत मेरे साथ


राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन विवाद: जयदीप बिहाणी ने धनंजय सिंह खींवसर पर लगाएं गंभीर आरोप, बोले- अब बहुमत मेरे साथ

जयपुर। राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) में चल रहा विवाद अब और तेज होता जा रहा है। शुक्रवार को एडहॉक कमेटी के कन्वीनर जयदीप बिहाणी ने प्रेस वार्ता कर स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के बेटे धनंजय सिंह खींवसर पर गंभीर आरोप लगाए और आरसीए में अपने बहुमत का दावा किया।

एडहॉक कमेटी के कन्वीनर जयदीप बिहाणी कहा कि अब आरसीए की 35 सदस्यीय एजीएम में 32 सदस्य हैं, जिनमें से 18 सदस्य उनके समर्थन में हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि जो भी जिला क्रिकेट संघ नियमों के विपरीत काम करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों पर सफाई देते हुए कहा कि बीसीसीआई ने आरसीए को पिछले एक साल में लगभग ₹57.5 करोड़ का अनुदान दिया है, और यदि काम नहीं किया गया होता तो यह अनुदान कभी नहीं मिलता।

एडहॉक कमेटी के कन्वीनर जयदीप बिहाणी ने बताया कि बीकानेर और पाली जिला क्रिकेट संघों की मान्यता रद्द की जा चुकी है, जबकि जोधपुर संघ को अब तक मान्यता मिली ही नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आगामी 7 जून से शुरू हो रही कॉल्विन शील्ड प्रतियोगिता के लिए इन जिलों की टीम आरसीए की एडहॉक कमेटी द्वारा चयनित की जाएगी ताकि खिलाड़ियों के हितों को कोई नुकसान न पहुंचे।

उन्होंने कहा कि धनंजय सिंह और उनके समर्थकों द्वारा 19 मई को की गई मीटिंग में आरसीए एडहॉक कमेटी के सभी पूर्व निर्णयों को रद्द करने का जो प्रस्ताव पारित किया गया, वह निराधार और गैरकानूनी है। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है तो बीसीसीआई से प्राप्त करोड़ों की अनुदान राशि की वसूली भी करनी होगी, जो खिलाड़ियों, अंपायर्स और पेंशन मदों में खर्च हो चुकी है।

एडहॉक कमेटी के कन्वीनर जयदीप बिहाणी ने स्पष्ट किया कि एडहॉक कमेटी को केवल चुनाव कराने के लिए नहीं बल्कि एक निर्वाचित कार्यसमिति की भांति कार्य करने का पूरा अधिकार है। उन्होंने सवाल किया कि यदि धनंजय गुट को एडहॉक कमेटी की वैधता पर आपत्ति थी, तो तीन महीने पहले तक जब समिति प्रदेश में आयोजन कर रही थी, तब यह आपत्ति क्यों नहीं उठाई गई?

एडहॉक कमेटी के कन्वीनर जयदीप बिहाणी ने मीटिंग्स को लेकर चल रहे विवाद पर कहा कि एक वर्ष में एक दर्जन मीटिंग्स हो चुकी हैं और अब TADA के लालच में कुछ लोग बार-बार मीटिंग की मांग कर रहे हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्होंने कभी भी आरसीए से कोई भत्ता नहीं लिया है।

उन्होंने कहा कि आरसीए एक्ट, स्पोर्ट्स एक्ट और कानूनी राय के आधार पर एडहॉक कमेटी को अधिकार है कि वह जिला संघों को मान्यता दे या वापस ले। जांच रोकने के आदेश पर उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि इतिहास में पहली बार ऐसा देखा कि कोई जांच कराने की बजाय उसे रोकने के आदेश दे रहा है।

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