जयपुर के मानसरोवर क्षेत्र में रहने वाले 75 वर्षीय संतोष कुमार साइबर अपराधियों के झांसे में आकर बड़ी ठगी का शिकार हो गए। ठगों ने खुद को मुंबई पुलिस और सीबीआई अधिकारी बताकर बुजुर्ग को 2.8 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपी बना दिया। फर्जी गिरफ्तारी वारंट, अदालत के वीडियो कॉल, और सीबीआई जांच का डर दिखाकर ठगों ने उन्हें तीन दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखा और 23.56 लाख रुपए ठग लिए।
23 मई की सुबह संतोष को अज्ञात नंबरों से कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन से संजय कुमार बताते हुए कहा कि उनके नाम पर मनी लॉन्ड्रिंग हुई है। बाद में एक और फर्जी अधिकारी रोहित कुमार गुप्ता, जो स्वयं को CBI अफसर बता रहा था, ने वीडियो कॉल के ज़रिए उन्हें फर्जी कोर्ट सीन दिखाया। इसमें एक व्यक्ति जज की वेशभूषा में बैठा दिखा और बताया गया कि उनके बैंक खातों को जब्त किया जा रहा है।
ठगों ने संतोष को डराकर तीन दिन में 23.56 लाख रुपए ट्रांसफर करवा लिए। जब उन्होंने और 20 लाख रुपए की मांग की तो बुजुर्ग एफडी तुड़वाने बैंक पहुंचे, जहां बैंक मैनेजर को शक हुआ और पूछताछ के बाद मामले का खुलासा हुआ।
शिप्रा पथ थाना पुलिस ने मामला दर्ज किया है और अब SOG साइबर थाना इसकी जांच करेगा।
साइबर अपराधी मनी लॉन्ड्रिंग के नाम पर आम नागरिकों को डराकर ठगते हैं। मनी लॉन्ड्रिंग का अर्थ है अवैध रूप से कमाए गए धन को वैध दिखाने की प्रक्रिया। यह धन आमतौर पर भ्रष्टाचार, तस्करी, जुआ या अन्य अपराधों से कमाया जाता है और इस प्रक्रिया से उसकी असलियत छिपाई जाती है।