जयपुर के सांगानेर सदर थाना क्षेत्र स्थित सीतापुरा इंडस्ट्रियल एरिया के जी-ब्लॉक में सोमवार रात एक दिल दहला देने वाली घटना में सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान चार सफाईकर्मियों की मौत हो गई, जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। घायलों को महात्मा गांधी हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया है, जबकि दो अन्य कर्मचारियों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है।
घटना अचल ज्वैल्स प्राइवेट लिमिटेड नामक ज्वैलरी निर्माण कंपनी के परिसर में रात 8:30 बजे हुई, जहां करीब 10 फीट गहरे सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए 8 सफाईकर्मियों को उतारा गया था। प्रारंभिक जांच के अनुसार, टैंक के अंदर मौजूद जहरीली गैस के कारण मजदूर एक के बाद एक बेहोश होते गए, और चार की मौके पर ही दम घुटने से मौत हो गई।
सीआई अनिल जैमन ने बताया कि पुलिस को कंट्रोल रूम से सूचना मिली थी, जिसके बाद टीम मौके पर पहुंची और घायलों को तत्काल हॉस्पिटल ले जाया गया। मृतकों की पहचान उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर और अंबेडकर नगर जिलों के रहने वाले मजदूरों के रूप में हुई है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सफाईकर्मियों ने शुरुआत में धूप और असुरक्षा के कारण टैंक में उतरने से मना कर दिया था, लेकिन कंपनी ने अतिरिक्त पैसे का लालच देकर उन्हें मजबूर किया। इस गैरकानूनी दबाव और सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी को लेकर परिजनों और समाज में भारी रोष है।
पुलिस के अनुसार इस संबंध में कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ लापरवाही से मौत की धारा में मामला दर्ज किया है।
यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि क्या मानव मल व विषैली गैसों की सफाई आज भी ‘मजदूरों की जान’ के बदले की जाती है?
राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की कई पूर्ववर्ती टिप्पणियों में यह स्पष्ट किया गया है कि सीवरेज या सेप्टिक टैंक में मानव प्रवेश पूर्णतः प्रतिबंधित है, जब तक कि पूर्ण सुरक्षा उपकरण एवं मशीनरी उपलब्ध न हो। यदि कंपनी ने सुरक्षा मानक नहीं अपनाए, तो यह मामला SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, IPC की धारा 304A और मानवाधिकार उल्लंघन के तहत कार्रवाई का बनता है।