महाकुंभ के अवसर पर आयोजित परम धर्म संसद में गाय को राष्ट्र माता और संस्कृत को हिंदुओं की भाषा घोषित करने का धर्मादेश जारी किया गया। यह ऐतिहासिक धर्म संसद ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के शिविर में हुई, जिसमें पहली बार द्वारकापीठ, ज्योतिर्मठ, और श्रृंगेरीपीठ के शंकराचार्य एक साथ मंच पर मौजूद रहे।
द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदी बोलचाल की भाषा है, लेकिन संस्कृत सनातनी भाषा है। हिंदू वही है जो गाय की भक्ति और सेवा करे। धर्म, संस्कृति और संस्कार समय की मांग हैं। नई पीढ़ी की शिक्षा और राजनीति धर्म के अनुरूप होनी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि धर्म का पालन करने से स्वतः धर्म की रक्षा होगी।
श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य विद्युशेखर भारती ने कहा कि सभी भाषाओं की माता संस्कृत है। जब तक गौ माता की हत्या होती रहेगी, सुख, शांति और समृद्धि संभव नहीं है। गौहत्या रुकने तक हमें थकना नहीं चाहिए।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि सनातन धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है, लेकिन देश के कानून में इसे पशु का दर्जा देकर अपमानित किया गया। उन्होंने सरकार से गाय को राज्य माता घोषित करने और गौहत्या पर पूर्ण रोक लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि जो सरकार गौ माता को राज्य माता का दर्जा देगी, उसे मेरा और पूरे सनातन समाज का आशीर्वाद मिलेगा।
गाय को राष्ट्र माता का दर्जा देने की मांग।संस्कृत को हिंदुओं की आधिकारिक भाषा घोषित करना। धर्म के अनुसार शिक्षा और राजनीति की आवश्यकता पर बल।गौहत्या पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार से आग्रह।