एक देश-एक चुनाव के लिए संसद में पेश किए गए 129 वें संविधान संशोधन बिल पर जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) की पहली बैठक बुधवार को हुई। बैठक में कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने बिल के प्रावधानों पर प्रेजेंटेशन दी और कमेटी के सदस्यों को 18 हजार पन्नों की रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट इतनी बड़ी थी कि कई सांसद इसे सूटकेस में लेकर जाते हुए देखे गए।
भाजपा और विपक्ष के रुख: भाजपा सांसद संबित पात्रा ने बिल का समर्थन करते हुए इसे देशहित में जरूरी कदम बताया। वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने बिल को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताते हुए इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करार दिया।
जेपीसी की जिम्मेदारी और समय सीमा: जेपीसी को इस बिल पर अपनी रिपोर्ट बजट सत्र के पहले हफ्ते के आखिरी दिन तक संसद में पेश करनी होगी।
बैठक की मुख्य बातें:कानून मंत्रालय की प्रेजेंटेशन: बैठक में मंत्रालय के अधिकारियों ने बिल के कानूनी और संवैधानिक पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी।
18 हजार पन्नों की रिपोर्ट: कमेटी के सदस्यों को दी गई यह रिपोर्ट बिल के सभी प्रावधानों और संबंधित कानूनों का विश्लेषण करती है।
सांसदों का रुख: भाजपा ने बिल को देशहित में बड़ा कदम बताया।कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने इसे संविधान विरोधी और अलोकतांत्रिक करार दिया।
अगली बैठक: कमेटी जल्द ही बिल पर विस्तार से चर्चा के लिए अगली बैठक करेगी।
क्या है एक देश-एक चुनाव?:इस बिल का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना है। सरकार का मानना है कि इससे चुनावी खर्च में कमी आएगी और प्रशासनिक मशीनरी पर दबाव कम होगा। हालांकि, विपक्ष का तर्क है कि यह संविधान के संघीय ढांचे को कमजोर करेगा और लोकतंत्र को प्रभावित करेगा।