मोदी सरकार ने बहुप्रतीक्षित 'वन नेशन-वन इलेक्शन' (एक देश, एक चुनाव) विधेयक को मंजूरी दे दी है। गुरुवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इसे स्वीकृति प्रदान की गई। सूत्रों के अनुसार, यह विधेयक इसी शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जा सकता है।
'वन नेशन-वन इलेक्शन' का उद्देश्य लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना है। वर्तमान में, भारत में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं, जिससे समय और संसाधनों की भारी खपत होती है। इस विधेयक के जरिए एक ही समय पर चुनाव कराए जाने की योजना है, जिससे प्रशासनिक खर्च में कमी आएगी और चुनावी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होगी।
सरकार इस विधेयक को पेश करने से पहले संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने की योजना बना रही है। यह समिति सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करेगी और सामूहिक सहमति बनाने पर जोर देगी। इससे पहले, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी।
सरकार के इस कदम का विपक्षी दलों ने विरोध किया है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP) और अन्य इंडिया ब्लॉक पार्टियों ने आरोप लगाया है कि यह कदम केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को फायदा पहुंचाने वाला है। हालांकि, नीतीश कुमार की जेडी(यू) और चिराग पासवान जैसे एनडीए सहयोगियों ने इसका समर्थन किया है।
यदि यह विधेयक कानून बनता है, तो पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की तैयारी की जाएगी। इसका उद्देश्य संसाधनों की बचत, चुनावी प्रक्रिया को सुगम बनाना और सरकार की नीतिगत स्थिरता को बढ़ावा देना है।
'वन नेशन-वन इलेक्शन' विधेयक का प्रभाव देश की राजनीति पर गहरा पड़ सकता है। जहां समर्थक इसे समय और धन बचाने वाला कदम मानते हैं, वहीं विरोधियों का कहना है कि इससे क्षेत्रीय दलों की भूमिका कमजोर होगी।
बिल को पेश करने के बाद, इसे संसद में पारित कराने के लिए व्यापक चर्चा की जाएगी। सरकार ने संकेत दिया है कि यह कदम भारतीय लोकतंत्र को और सशक्त बनाने की दिशा में उठाया गया है।