Friday, 20 September 2024

रिश्वत प्रकरण में महापौर मुनेश गुर्जर के खिलाफ एसीबी की चार्जशीट, 5 अक्टूबर को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश


रिश्वत प्रकरण में महापौर मुनेश गुर्जर के खिलाफ एसीबी की चार्जशीट, 5 अक्टूबर को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश

जयपुर: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने जयपुर हैरिटेज नगर निगम की महापौर मुनेश गुर्जर और उनके पति सुशील गुर्जर के खिलाफ रिश्वत मामले में बड़ी कार्रवाई की है। एसीबी ने गुरुवार को अदालत में 2502 पन्नों की चार्जशीट पेश की, जिसमें स्पष्ट किया गया कि महापौर और उनके पति ने पट्टे जारी करने के बदले रिश्वत ली थी। चार्जशीट में यह बताया गया कि मुनेश गुर्जर ने परिवादी से 50,000 रुपए लिए थे, जबकि उनके पति सुशील गुर्जर ने विभिन्न कार्यों के बदले रिश्वत की राशि ली थी। पति के कहने पर ही महापौर मुनेश फाइलों पर हस्ताक्षर करती थीं।

अदालत में चार्जशीट पेश, महापौर की गैर-मौजूदगी:

एसीबी द्वारा जारी नोटिस के बावजूद महापौर मुनेश गुर्जर गुरुवार को कोर्ट में पेश नहीं हुईं। उनके वकील दीपक चौहान ने अदालत को बताया कि महापौर की तबीयत खराब है और वह इलाज के लिए दिल्ली गई हैं। अदालत में उन्होंने मेडिकल सर्टिफिकेट भी पेश किया, जिसमें बताया गया कि डॉक्टर ने उन्हें 7 दिन का बेडरेस्ट दिया है।

चार्जशीट में एसीबी ने मुनेश गुर्जर, उनके पति सुशील गुर्जर, और अन्य आरोपियों नारायण सिंह व अनिल दुबे के खिलाफ आरोप लगाए हैं। एसीबी ने मामले से जुड़े सबूतों, जैसे कि आरोपियों के मोबाइल फोन, रिश्वत राशि की सत्यापन प्रक्रिया, और बातचीत की रिकॉर्डिंग (एसडी कार्ड) को विधि विज्ञान प्रयोगशाला में भेजा है। रिपोर्ट मिलने के बाद उन्हें अदालत में प्रस्तुत किया जाएगा।

पिछले साल हुई थी गिरफ्तारी:

इस मामले में एसीबी ने पिछले वर्ष सुरेश गुर्जर, नारायण सिंह और अनिल दुबे को 2 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। हालांकि, बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। एसीबी की चार्जशीट के मुताबिक, पैसे लेकर पट्टे जारी करने के आरोपों में महापौर और उनके पति की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

शिकायतकर्ता की ओर से आपत्ति: शिकायतकर्ता सुधांशु गिल की ओर से उनके अधिवक्ता पूनम चंद भंडारी, पंकज गुलाटी, मोहम्मद आबिद, भूपेंद्र सिंह राव, और अंजली शर्मा अदालत में उपस्थित हुए। अधिवक्ता पूनम चंद भंडारी ने महापौर द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि यह पत्र किस धारा के तहत प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने तर्क दिया कि प्रार्थना पत्र को खारिज किया जाना चाहिए और महापौर को गिरफ्तारी वारंट के माध्यम से अदालत में तलब किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी मांग की कि महापौर के मेडिकल सर्टिफिकेट की जांच मेडिकल बोर्ड से करवाई जाए।

कोर्ट का फैसला:

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने महापौर मुनेश गुर्जर को 5 अक्टूबर को न्यायालय में उपस्थित होने के आदेश दिए हैं। अदालत ने इस मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए आगे की सुनवाई का निर्धारण किया है, जिसमें महापौर की उपस्थिति अनिवार्य होगी।

यह मामला जयपुर नगर निगम में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से जुड़ा है, जिसमें महापौर और उनके पति की कथित संलिप्तता सामने आई है। अब अदालत के अगले फैसले पर सभी की नजरें टिकी हैं।

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