पेपर लीक मामले में राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के दो सदस्यों की भूमिका उजागर होने के बाद सरकार आयोग के पुनर्गठन की योजना बना रही है। वर्तमान में RPSC में अध्यक्ष सहित 7 सदस्य हैं, लेकिन अब हरियाणा लोक सेवा आयोग की तर्ज पर सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 14 किए जाने की संभावना है। इस दिशा में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को हरियाणा लोक सेवा आयोग का संवैधानिक अध्ययन करने की जिम्मेदारी दी गई थी, जिनकी रिपोर्ट मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को सौंप दी गई है। रिपोर्ट को जल्द ही विधि विभाग को भेजा जाएगा, ताकि आवश्यक संशोधन किए जा सकें।
2008 में हरियाणा की भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) में सदस्यों की संख्या 8 से बढ़ाकर 12 की थी, हालांकि बाद में 2012 में इसे घटाकर 6 कर दिया गया। इसके बाद 2015 में मनोहर लाल खट्टर सरकार ने आयोग में फिर से 8 सदस्यों को नियुक्त किया। RPSC के पुनर्गठन के लिए इसी मॉडल का अध्ययन किया गया है। विधानसभा के आगामी सत्र में इस संशोधन को पारित किया जा सकता है।
वासुदेव देवनानी द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में RPSC के सदस्यों की संख्या दोगुनी करने की सिफारिश की गई है। फिलहाल, आयोग में अध्यक्ष समेत 7 सदस्य हैं, जिनमें से एक पद खाली है और एक सदस्य बाबूलाल कटारा निलंबन के तहत हैं। अगर प्रस्तावित बदलाव होते हैं, तो आयोग में 14 सदस्य हो सकते हैं। सरकार नियुक्ति प्रक्रिया में भी बदलाव करने की तैयारी में है और राजनीतिक हस्तक्षेप से बचते हुए योग्यता के आधार पर नियुक्तियां की जाएंगी। संघ लोक सेवा आयोग की प्रक्रिया का अध्ययन भी किया जा रहा है ताकि RPSC में भी पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके।
सरकार की रणनीति के तहत नए सदस्यों को भर्ती परीक्षाओं की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जबकि पुराने सदस्य प्रशासनिक कार्यों तक सीमित रहेंगे। पेपर लीक मामले के बाद आयोग की छवि पर जो दाग लगे हैं, उन्हें मिटाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। RPSC में अध्यक्ष समेत अन्य पांच सदस्यों की नियुक्ति गहलोत सरकार के कार्यकाल में हुई थी। इनमें कैलाश चंद मीणा, संगीता आर्य, मंजू शर्मा का कार्यकाल 2026 तक है, जबकि केसरी सिंह राठौड़ और अयूब खान 2029 तक पद पर बने रहेंगे। कैलाश चंद मीणा फिलहाल कार्यवाहक अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे हैं।
2023 में वरिष्ठ शिक्षक भर्ती पेपर लीक मामले में RPSC के सदस्य बाबूलाल कटारा की गिरफ्तारी के बाद तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने आयोग को भंग करने की मांग की थी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहे सीपी जोशी ने भी चुनाव से पहले RPSC को भंग करने का वादा किया था। हालांकि, संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने कई बार यह स्पष्ट किया कि संवैधानिक अड़चनों के कारण आयोग को भंग करना संभव नहीं है। इस बीच, कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भी RPSC की विश्वसनीयता को पुनर्स्थापित करने के लिए पुनर्गठन की मांग की थी।
पेपर लीक मामले ने RPSC की छवि पर गहरा असर डाला है, और इस पुनर्गठन के जरिये सरकार आयोग की विश्वसनीयता को बहाल करने की कोशिश कर रही है। सरकार का कहना है कि आयोग में योग्यता आधारित चयन सुनिश्चित किया जाएगा और राजनीतिक हस्तक्षेप से बचने के लिए कड़े नियम लागू किए जाएंगे। आयोग की कार्यप्रणाली में सुधार की योजना के साथ ही सरकार का लक्ष्य है कि भविष्य में भर्ती परीक्षाओं में ऐसी घटनाएं न हों, जो सरकारी महकमों की साख पर बट्टा लगाती हैं।
इस पुनर्गठन के बाद RPSC में पारदर्शिता, निष्पक्षता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने की उम्मीद जताई जा रही है, ताकि राजस्थान के युवा उम्मीदवारों के भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ न हो।