विवादों में आए कानून मंत्री जोगाराम पटेल के बेटे मनीष पटेल ने रविवार को जोधपुर में होने वाले प्रधानमंत्री के दौरे से पहले अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) के पद से इस्तीफा दे दिया है। मनीष पटेल की नियुक्ति 12 मार्च 2024 को जोधपुर हाईकोर्ट की मुख्य पीठ में की गई थी, लेकिन पांच महीने के बाद ही उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे में मनीष पटेल ने निजी कारणों का हवाला दिया है।
मनीष पटेल की नियुक्ति को लेकर विधानसभा में 5 अगस्त को विवाद हुआ था, जिसके बाद यह मामला चर्चा में आया। इस्तीफा देने के बाद मनीष पटेल ने बताया कि उन्होंने काफी पहले ही मुख्यमंत्री भजनलाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया था, लेकिन यह सूचना अब सार्वजनिक हो रही है। मनीष पटेल ने कहा कि वह इस पद पर कम्फर्टेबल महसूस नहीं कर रहे थे, इसलिए उन्होंने पद छोड़ने का फैसला किया।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने मनीष पटेल के एएजी पद से इस्तीफा देने पर प्रतिक्रिया देते हुए X पर एक पोस्ट किया। जूली ने लिखा कि कानून मंत्री जोगाराम पटेल के बेटे मनीष पटेल को गैर कानूनी तरीके से अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किया गया था। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब इस बारे में उन्होंने सवाल किया, तो सरकार की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। जूली ने संकेत दिया कि मनीष पटेल के इस्तीफे के पीछे राजनीतिक दबाव हो सकता है। इस पोस्ट के जरिए उन्होंने सरकार पर सवाल उठाते हुए इस पूरे मामले में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया।
राजस्थान सरकार ने 12 मार्च को राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ताओं (AAG) की नियुक्ति की थी। इस आदेश के तहत जयपुर पीठ में एडवोकेट विज्ञान शाह और एडवोकेट संदीप तनेजा को, जबकि मुख्य पीठ जोधपुर में एडवोकेट राजेश पंवार, महावीर विश्नोई, और मनीष पटेल को एएजी नियुक्त किया गया था। सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट शिवमंगल शर्मा को अतिरिक्त महाधिवक्ता और एडवोकेट निधि जसवाल को एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड नियुक्त किया गया। इसके अलावा सौरभ राजपाल, दिव्यांक पंवार, क्षितिज मित्तल, और अनिशा रस्तोगी को पैनल लॉयर के रूप में नियुक्त किया गया।
इन नियुक्तियों में सबसे ज्यादा चर्चा कानून मंत्री जोगाराम पटेल के बेटे मनीष पटेल की एएजी पद पर नियुक्ति को लेकर हुई। कांग्रेस ने इसे राजनीतिक नियुक्ति करार देते हुए विधानसभा में सवाल उठाए। इस मुद्दे पर हुए हंगामे के चलते लाडनूं विधायक मुकेश भाकर को 6 महीने के लिए विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था। इस निलंबन के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा में रातभर धरना दिया था।