Friday, 20 September 2024

आयुर्वेदिक इलाज से हार्ट वाल्व की सिकुड़न की बीमारी को ठीक किया जाना संभव, पर योग्य चिकित्सक और संस्थान से समय पर सलाह लेना भी जरूरी


आयुर्वेदिक इलाज से हार्ट वाल्व की सिकुड़न की बीमारी को ठीक किया जाना संभव, पर योग्य चिकित्सक और संस्थान से समय पर सलाह लेना भी जरूरी

हृदय के वाल्व की सिकुड़न, जिसे हृदय वाल्व रोग या हृदय वाल्व की खराबी के रूप में जाना जाता है, को आयुर्वेदिक उपचार से ठीक किया जा सकता है। आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है जो स्वास्थ्य को बनाए रखने, बीमारियों को ठीक करने और रोकथाम के लिए प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और उपचारों का उपयोग करती है।

आयुर्वेद के अनुसार हृदय वाल्व की सिकुड़न के उपचार में निम्नलिखित दृष्टिकोण  होते हैं:-

दोषों का संतुलन  करना: 

आयुर्वेद के अनुसार, शरीर तीन दोषों (वात, पित्त, कफ) से बना होता है। हृदय वाल्व की सिकुड़न के मामले में, तीनों दोषों के बीच असंतुलन हो सकता है।

एक वैद्य (आयुर्वेदिक चिकित्सक) शरीर के दोषों को संतुलित करने के लिए जड़ी-बूटियों, आहार और जीवनशैली में बदलाव की सिफारिश करता है।

जड़ी-बूटियों का उपचार:

कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ हृदय वाल्व की सिकुड़न के उपचार में मदद कर सकती हैं। एक वैद्य विशिष्ट जड़ी-बूटियों की सिफारिश कर सकता है जो हृदय के कार्य में सुधार करती हैं और रक्त परिसंचरण को बढ़ाती हैं।

आहार और जीवनशैली में बदलाव: 

एक वैद्य हृदय वाल्व की सिकुड़न के रोगी को आहार और जीवनशैली में बदलाव करने की सलाह देता है। इसमें कम नमक वाला आहार, कम वसा वाला आहार, अधिक फाइबर वाला आहार और अधिक पानी पीना शामिल हो सकता है। इसके अलावा रोगी को धूम्रपान छोड़ने, शराब से बचने और नियमित व्यायाम करने की सलाह दी जाती है।

पंचकर्म चिकित्सा:

पंचकर्म एक आयुर्वेदिक शुद्धिकरण उपचार है जो शरीर को शुद्ध करने और दोषों को संतुलित करने में मदद करता है। एक वैद्य रोगी को पंचकर्म चिकित्सा की सिफारिश करता है, जिसमें वमन (उल्टी), विरेचन (आंतों को साफ करना), बस्ति (आंत के माध्यम से शुद्धिकरण), और रक्तमोक्षण (रक्त निकालना) शामिल होते हैं।

इस विषय में मेरा आपसे अनुरोध है आप किसी अच्छे आयुर्वेदिक संस्थान से मिले जैसे की नेशनल इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वैद जो जयपुर में है ।यह केंद्र सरकार का संस्थान है, वहां पर बातचीत करें ।

या पतंजलि आयुर्वेद विद्यापीठ हरिद्वार में बात करें या बेंगलुरु में एक जिंदल साहब का आयुर्वैदिक इंस्टीट्यूट है वहां पर बात करें। देश में बहुत सारे आयुर्वेदिक पंचकर्म और नेचुरोपैथी के इंस्टीट्यूट हैं, विशेष कर केरल में हैं उनसे से संपर्क साधें ।

आयुर्वेद के बहुत सारे हॉस्पिटल राजस्थान में भी है वहां पर आप संपर्क करके इस बारे में पूर्ण सूचना प्राप्त कर सकते हैं । इलाज की पूरी प्रक्रिया यहां पर नहीं बताई जा सकती । वैद्य द्वारा रोगी को परीक्षण करने के बाद ही इलाज की प्रक्रिया बताई जा सकती है ।आप मेरे से मिलकर लाभ ले सकते हैं।

आप किसी नजदीकी विशिष्ट विद्वान वैद्य या आयुर्वैदिक संस्थान से संपर्क साधें, आपकी समस्या का समाधान मिल जाएगा।

डॉ. पीयूष त्रिवेदी, आयुर्वेद चिकित्सा प्रभारी राजस्थान विधान सभा जयपुर। मोबाइल नंबर: 9828011871.

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