कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी, रविवार, दिनांक 12 नवंबर 2023 को प्रदोष काल में अमावस्या होने से इसी दिन दीपावली मनाई जाएगी व श्री लक्ष्मी पूजन किया जाएगा। श्री लक्ष्मी पूजन प्रदोष युक्त अमावस्या को स्थिर लग्न में किया जाना सर्वश्रेष्ठ होता है। इस वर्ष लक्ष्मी पूजन का समय इस प्रकार है:-
दिवाली पूजा सामग्री:
एक चौकी, लाल कपड़ा, भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा, अक्षत यानी साबुत चावल, लौंग, इलायची, एक तांबे या पीतल का कलश, कुमकुम, हल्दी, दूर्वा, सुपारी, मौली, दो नारियल, 2 बड़े दीपक, आम के पत्ते, पान के पत्ते, 11 छोटे दीपक, अगरबत्ती, जल पात्र, गंगाजल, घी, सरसों का तेल, दीये की बाती, धूप, मीठे बताशे, खील, मिठाई, फल, पुष्प, कमल का फूल, पकवान, मेवे। कई लोग दिवाली पर मां लक्ष्मी को कमलगट्टे, कौड़ी और धनिया भी चढ़ाते हैं।
दिवाली पूजन विधि:-
पूजा स्थल की सफाई: जहां पूजा करनी है, वहां को साफ करें। चौक तैयारी: ज़मीन पर आटे या चावल से चौक बनाएं। अगर चौक न बने, तो केवल कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं या कुछ दाने अक्षत के साथ रखें। पूजा स्थल सजाएं: चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। अक्षत के आसन पर, माता लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियाँ स्थापित करें। मूर्तियों का स्थान: लक्ष्मी जी को गणेश जी के दाहिने ओर स्थापित करें। दोनों प्रतिमाओं का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा में होना चाहिए। धन स्थापना: दोनों प्रतिमाओं के सामने थोड़े रुपए, गहने और चांदी के सिक्के रखें। यदि चांदी के सिक्के उपलब्ध न हों, तो कुबेर जी का चित्र या प्रतिमा भी स्थापित कर सकते हैं। पुष्प बनाएं: लक्ष्मी जी के दाहिनी तरफ अक्षत से अष्टदल यानी 8 पखुंडियों वाला एक पुष्प बनाएं। कलश सजाएं: जल से भरे कलश को ऊपर रखें। कलश में गंगा जल, हल्दी, कुमकुम, अक्षत, दूर्वा, सुपारी, लौंग और इलायची डालें। यदि सभी सामग्री नहीं है, तो शुद्ध जल, अक्षत, हल्दी और कुमकुम का उपयोग करें। कलश सजीव: कलश पर कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं। आम के पत्तों पर हल्दी-कुमकुम लगाएं। कलश में आम के पत्ते और ऊपर मौली बांधकर रखें। चौकी सजाएं: चौकी के सामने अन्य सामग्री लगाएं। दीपक सजाएं: दो बड़े चौमुखी घी के दीपक रखें। 11 दीयों में सरसों का तेल डालें। स्थापना: जल पात्र में एक पुष्प को डुबोकर, सभी देवी-देवताओं पर छिड़कें। आचमन के लिए, बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लें और दोनों हाथों को साफ करें। मंत्रों का उच्चारण: तीन बार जल स्वयं ग्रहण करें और मंत्रों का उच्चारण करें: ॐ केशवाय नमः ॐ नारायणाय नमः ॐ माधवाय नमः फिर हाथ धो लें। दीपक प्रज्वलित करें: दोनों घी के दीपकों को गणेश जी और लक्ष्मी जी के सामने प्रज्वलित करें। एक तेल का दीपक कलश के समक्ष जलाएं। पितृ पूजा: एक दीपक पितरों के नाम से जलाएं। आरती और मंत्रों का उच्चारण: दीपक के साथ धूप और अगरबत्ती जलाएं, भगवान जी को दिखाएं। मंत्र के साथ गणेश जी का आवाहन करें: ॐ गं गणपतये नमः माता लक्ष्मी का आवाहन करते हुए मंत्र का उच्चारण करें: ॐ महालक्ष्म्यै नमः पूजा और आरती: भगवान गणेश, माता लक्ष्मी, कुबेर जी, कलश, और दीपक को पुष्प अर्पित करें। माता लक्ष्मी को वस्त्र रूपी मौली अर्पित करें, और गणेश जी को जनेऊ अर्पित करें। सोने और चांदी के सिक्कों को तिलक लगाएं। आरती के बाद: दीयों को घर के विभिन्न स्थानों पर रखें। दीपों का मुख बाहर की तरफ होना चाहिए। प्रार्थना और समापन: भगवान की पूजा स्वीकार करने की प्रार्थना करें। बचे हुए दीयों को विभिन्न स्थानों पर रखें। आरती दें और भोग को प्रसाद के रूप में वितरित करें। आशीर्वाद प्राप्त करें और दिवाली पूजा समापन करें।