Thursday, 12 June 2025

राजस्थान हाईकोर्ट ने AIIMS जोधपुर को फटकारा: कहा— डॉक्टरों से रिटायरमेंट के बाद पेंशन काटने का फैसला पिछली तारीख से लागू करना गलत


राजस्थान हाईकोर्ट ने AIIMS जोधपुर को फटकारा: कहा— डॉक्टरों से रिटायरमेंट के बाद पेंशन काटने का फैसला पिछली तारीख से लागू करना गलत

जोधपुर राजस्थान हाईकोर्ट ने AIIMS जोधपुर प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा है कि वह अपने कर्मचारियों से जुड़े नियम-कानूनों को लेकर ही अनभिज्ञ रहा है। कोर्ट ने कहा कि पांच साल पहले नियुक्त डॉक्टरों के वेतन से रिटायरमेंट की पेंशन को पिछली तारीख से काटना उचित नहीं है। ये आदेश कोर्ट ने AIIMS जोधपुर में दोबारा नियुक्त किए गए सेवानिवृत्त डॉक्टरों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया।

मामला उन डॉक्टरों से जुड़ा था जिन्हें वर्ष 2018 में नियुक्ति दी गई थी। नियुक्ति के समय उन्हें 'पे-माइनस-पेंशन' (Pay minus pension) नियम के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। वर्ष 2023 में स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर AIIMS जोधपुर ने अचानक इन डॉक्टरों की पेंशन की जानकारी मांगकर उनके वेतन से पेंशन की राशि काटने का फैसला लिया। डॉक्टरों ने इस फैसले को मनमाना और कानूनन गलत बताते हुए चुनौती दी थी।

हाईकोर्ट के जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस चंद्र प्रकाश श्रीमाली की खंडपीठ ने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मियों के पुनर्नियोजन (Re-employment) संबंधी नियम इसलिए नहीं हटाए जा सकते क्योंकि नियुक्ति आदेश में स्पष्ट रूप से उनका उल्लेख नहीं हुआ। कोर्ट ने AIIMS जोधपुर प्रशासन की लापरवाही और कानूनों के प्रति अज्ञानता की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि अस्पताल ने नियमों की सही जानकारी न होने के कारण इस विवाद को जन्म दिया है।

खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि AIIMS जोधपुर प्रशासन की गलती की सजा डॉक्टरों को देना अनुचित होगा। डॉक्टरों ने स्वयं कोई गलती नहीं की, इसलिए उनसे पूर्व में भुगतान की गई राशि वापस लेना न्यायसंगत नहीं है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि 'पे-माइनस-पेंशन' नियम लागू करना सही है, लेकिन इसे पिछली तारीख (Retrospective) से नहीं, बल्कि आदेश जारी होने की तारीख से आगे (Prospective) लागू किया जाए।

इस मामले की शुरुआत तब हुई जब केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) ने डॉक्टरों को 'पुनर्नियोजित' की श्रेणी में रखते हुए AIIMS जोधपुर को 'पे-माइनस-पेंशन' लागू करने की अनुमति दी थी, लेकिन साथ ही यह भी कहा था कि इसे पिछली तारीख से लागू नहीं किया जा सकता। इस निर्णय के विरुद्ध डॉक्टरों ने और AIIMS जोधपुर ने अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि 1986 के केन्द्रीय सिविल सेवा (पुनर्नियोजित पेंशनरों के वेतन निर्धारण) आदेशों के अनुसार पुनर्नियोजित डॉक्टरों का वेतन निर्धारण 'पे-माइनस-पेंशन' नियम के आधार पर ही होना चाहिए। AIIMS के 1999 के विनियम भी यही स्पष्ट करते हैं कि पुनर्नियोजित कर्मचारी इसी नियम के अंतर्गत आते हैं।

कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि AIIMS जोधपुर को अपने नियमों का ज्ञान होना चाहिए और कर्मचारियों के साथ उचित व्यवहार करना चाहिए। साथ ही पूर्व में दी गई राशि की वसूली न करने के निर्देश भी जारी किए।

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