जयपुर राजस्थान हाईकोर्ट ने टोंक जिले के देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान एसडीएम थप्पड़कांड में गिरफ्तार निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को FIR संख्या 166/2024 में जमानत दे दी है। यह फैसला जस्टिस अनिल कुमार उपमन की एकलपीठ ने सुनाया। हालांकि, 13 नवंबर 2024 को समरावता गांव में हुई हिंसा और आगजनी से जुड़े दूसरे मामले में जमानत याचिका खारिज होने के कारण नरेश मीणा अभी जेल में ही रहेंगे।
हाईकोर्ट में रखे गए तर्क: हाईकोर्ट में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान एडवोकेट डॉ. महेश शर्मा, फतेहराम मीणा और लाखन सिंह मीणा ने नरेश मीणा की ओर से पैरवी की। उन्होंने अदालत को बताया कि इस मामले में लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं और चार्जशीट पहले ही दाखिल हो चुकी है। याचिकाकर्ता का ट्रायल में सहयोग जारी है, अतः उन्हें जमानत दी जानी चाहिए।
वहीं, सरकार की ओर से अभियोजन पक्ष ने इसका विरोध किया और कहा कि इस तरह की घटनाएं प्रशासनिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर आघात हैं तथा समाज में गलत उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।
जमानत मंजूर लेकिन जेल से रिहाई नहीं: हाईकोर्ट ने FIR 166/2024 (नगरफोर्ट थाने) में दर्ज एसडीएम थप्पड़कांड के मामले में जमानत प्रदान कर दी, लेकिन समरावता हिंसा और आगजनी के मामले में पहले ही जमानत याचिका खारिज हो चुकी है, जिसके चलते नरेश मीणा की जेल से रिहाई फिलहाल संभव नहीं है।
13 नवंबर 2024 को समरावता गांव में चुनाव के दौरान हुए तनाव के चलते नरेश मीणा ने एसडीएम अमित चौधरी को कथित रूप से थप्पड़ मार दिया था। इस घटना के बाद क्षेत्र में हिंसा भड़क उठी, जिसमें पथराव, आगजनी और पुलिस के साथ झड़प जैसी घटनाएं हुईं।
मतदान में अनियमितताओं का आरोप लगाकर नरेश ने प्रशासनिक कार्रवाई पर आपत्ति जताई थी। घटना के बाद 63 समर्थकों सहित नरेश मीणा को गिरफ्तार किया गया था। 14 नवंबर को उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया और 6 फरवरी 2025 को पुलिस ने यूनियारा के एसीजेएम कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की।
आगे की सुनवाई जल्द: हाईकोर्ट में अन्य मामले में भी जमानत याचिका दायर की गई है, जिसकी अगली सुनवाई जल्द संभावित है। यदि उसमें राहत मिलती है, तो नरेश मीणा की रिहाई संभव हो सकती है।