जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) में नई एसओपी लागू होने के बाद भी प्रकरणों का समय पर निस्तारण नहीं हो पा रहा है। चार हफ्ते पहले जेडीए ने लीज होल्ड से फ्री होल्ड का पट्टा बनाने, नया पट्टा जारी करने, नाम ट्रांसफर, उप विभाजन/पुनर्गठन और 90ए से संबंधित मामलों की समय सीमा कम करते हुए नई एसओपी लागू की थी। इसके तहत, ऑनलाइन आवेदन के बाद फाइलों को ट्रैक करने और ऑटो-फॉरवर्ड की सुविधा दी गई थी। इसके बावजूद, आवेदकों को उनकी फाइलों का निस्तारण समय पर नहीं मिल पा रहा है।
नई एसओपी लागू करने के समय तक करीब 950 प्रकरण लंबित थे, और तीन हफ्ते बाद भी विभिन्न जोनों में वर्तमान में लगभग 800 मामले लंबित हैं। इनमें सबसे अधिक मामले पट्टों से जुड़े हैं, जिनकी संख्या 318 है। इसके अलावा, उप विभाजन/पुनर्गठन के 101, लीज होल्ड की बजाय फ्री होल्ड पट्टा देने के 99, नाम ट्रांसफर के 88, भूरूपांतरण (90ए) के 67 और बिल्डिंग प्लान एप्रूवल सिस्टम के 118 मामले लंबित हैं।
जोन 9 में पट्टा आवेदन के बाद 133 मामले अटके हुए हैं, वहीं पृथ्वीराज नगर दक्षिण प्रथम में 49 आवेदन लंबित हैं। जोन 12 में 90ए के सबसे अधिक 16 मामले और जोन 14 में 12 मामले अटके हुए हैं। नाम ट्रांसफर के मामले में जोन 11 में सबसे अधिक 11 फाइलें पेंडिंग हैं। उप विभाजन/पुनर्गठन के मामले पृथ्वीराज नगर दक्षिण द्वितीय जोन में सर्वाधिक 15 हैं।
वहीं, राजस्थान पोर्टल की शिकायतों में से 80 केस अभी भी लंबित हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय, मुख्य सचिव कार्यालय और नगरीय विकास राज्यमंत्री झाबर सिंह खर्रा से जेडीए को पत्र भेजकर समय पर निस्तारण का आदेश दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद जेडीए के विभिन्न जोनों में करीब 1555 मामले डीटीएस (डॉक्यूमेंट ट्रैकिंग सिस्टम) में लंबित हैं। 19 अक्टूबर तक इनकी संख्या 1328 थी, जो बढ़कर 1555 हो गई है।
इस स्थिति से स्पष्ट होता है कि नई एसओपी और ऑटो-फॉरवर्डिंग जैसी तकनीकी सुविधाओं के बावजूद जेडीएमें समय पर मामलों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। लंबित प्रकरणों का बढ़ता आंकड़ा जनता में असंतोष का कारण बन रहा है और जेडीएके कार्यों पर सवाल खड़े कर रहा है।