जयपुर। राजस्थान में 'वन स्टेट, वन इलेक्शन' के सिद्धांत पर आगामी समय में पंचायतों और नगर निकायों में चुनाव कराए जाएंगे। इसमें करीब डेढ़ लाख से अधिक जनप्रतिनिधियों के पदों पर नए परिसीमन के आधार पर चुनाव होंगे। इस बार का चुनाव खास इसलिए है क्योंकि राज्य सरकार ने ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
राज्य सरकार ने 'राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग राजनीतिक प्रतिनिधित्व आयोग' का गठन किया है, जो विशेष रूप से ओबीसी आरक्षण को लेकर 'ट्रिपल टेस्ट' के मानकों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करेगा। आयोग यह तय करेगा कि प्रदेश के किन क्षेत्रों में, किन-किन निकायों में और कितनी प्रतिशत सीटों पर ओबीसी आरक्षण लागू किया जा सकता है।
राज्य निर्वाचन आयोग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर पंचायत, नगर परिषद और नगर पालिका स्तर पर चुनावों का आयोजन करेगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार जिन क्षेत्रों में ओबीसी वर्ग का आंकड़ा या आधार निर्धारित नहीं हो सकेगा, वहां जनरल श्रेणी में चुनाव कराए जाएंगे।
यह आयोग ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, नगर निकायों आदि को एक-एक "यूनिट" मानकर आरक्षण की गणना करेगा। लेकिन आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% (SC+ST+OBC) से अधिक नहीं हो सकेगी। उदाहरण के लिए, यदि किसी यूनिट में SC/ST की संख्या 40% और OBC की केवल 9% है, तो OBC को उतना ही आरक्षण मिलेगा जितना उनके आंकड़े दर्शाते हैं।
पूर्व उप सचिव (निर्वाचन आयोग) अशोक जैन के अनुसार, यह आयोग पहले की सरकार के समय नहीं बन पाया था, जिससे चुनाव में देरी हुई। अब आयोग की रिपोर्ट के बाद पारदर्शिता के साथ ओबीसी आरक्षण के तहत चुनाव आयोजित किए जा सकेंगे।