Friday, 20 September 2024

जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार का मामला: पूर्व मंत्री जोशी और 7 पीएचईडी के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर की तैयारी,राज्यपाल ने दी अनुमति


जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार का मामला: पूर्व मंत्री जोशी और 7 पीएचईडी के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर की तैयारी,राज्यपाल ने दी अनुमति

जल जीवन मिशन (जेजेएम) में भ्रष्टाचार का एक और मामला सामने आया है, जिसमें तत्कालीन जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी (पीएचईडी) पूर्व मंत्री महेश जोशी, एसीएस सुबोध अग्रवाल, और विभाग के कई अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका उजागर हुई है। एसीबी द्वारा दर्ज प्राथमिक जांच रिपोर्ट में इन पर करोड़ों रुपए के घोटाले के आरोप लगाए गए हैं। एसीबी ने राज्यपाल से पूर्व मंत्री जोशी सहित 7 अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर की अनुमति प्राप्त कर ली है, जबकि अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है।

कैसे सामने आया भ्रष्टाचार?

एसीबी ने जल जीवन मिशन में ठेकेदारों द्वारा फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर ठेके हासिल करने के मामले की जांच की। ठेकेदार पदम चंद जैन और महेश मित्तल की फर्म ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जल जीवन मिशन के तहत ठेके हासिल किए थे। विभाग को फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र की जानकारी पहले ही मिल चुकी थी, और इस पर आधिकारिक तौर पर शिकायतें भी दर्ज की गई थीं। इसके बावजूद, विभाग ने समय पर कार्रवाई नहीं की और जांच में देरी की गई, जिससे करोड़ों रुपए का भुगतान ठेकेदारों को कर दिया गया।

जांच में विभाग की लापरवाही

जांच रिपोर्ट में सामने आया कि ठेकेदारों द्वारा फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करने की जानकारी मिलने के बाद भी, विभाग ने तुरंत जांच का निर्णय नहीं लिया। जब जांच शुरू की गई, तो उसकी रिपोर्ट भी संदेहास्पद रही। इस देरी और कथित गड़बड़ियों के बीच ठेकेदारों को करोड़ों रुपए का भुगतान कर दिया गया, जिससे मामले में भ्रष्टाचार के संकेत और मजबूत हो गए।

एफआईआर की प्रक्रिया और राज्यपाल की मंजूरी

पूर्व मंत्री महेश जोशी और 7 अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए एसीबी ने राज्यपाल से अनुमति मांगी थी, जो अब मिल चुकी है। राज्यपाल की अनुमति के बाद यह फाइल एसीबी को भेज दी गई है। इसके अलावा पीएचईडी विभाग ने सात अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति भी दे दी है। हालांकि एसीएस सुबोध अग्रवाल और कुछ अन्य अधिकारियों का मामला अभी भी डीओपी (कार्मिक विभाग) और पीएचईडी के पास लंबित है, जहां इन पर आगे की कार्रवाई के लिए निर्णय लिया जाएगा।

अधिकारियों की भूमिका और देरी से जांच

विभागीय स्तर पर फर्जी दस्तावेजों की शिकायत मिलने के बाद भी, उच्च स्तर पर तत्काल कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। देरी से की गई जांच और संदेहास्पद रिपोर्टों ने भ्रष्टाचार के इस मामले को और जटिल बना दिया। एसीबी द्वारा दर्ज प्राथमिक जांच रिपोर्ट में इन सभी गड़बड़ियों का जिक्र किया गया है, और अब एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मिलते ही आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

पिछले मामले और गिरफ्तारियां

जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार का मामला पहली बार एसीबी द्वारा तब उजागर किया गया, जब पिछले साल ठेकेदार पदम चंद जैन के ठिकानों पर छापेमारी की गई थी और पांच अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी इस मामले में जांच शुरू की और कई गिरफ्तारियां की थीं। फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर, विभाग ने पहले ही बजाज नगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी, और सीबीआई ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया।

भविष्य की कार्रवाई

एसीबी ने अब तक चार मामलों की जांच की है, जिनमें से तीन पहले से ही दर्ज हो चुके हैं। वर्तमान मामले में एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। एक बार सभी अधिकारियों के खिलाफ निर्णय हो जाने के बाद एसीबी द्वारा उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

जल जीवन मिशन, जो देश भर में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है, इस भ्रष्टाचार मामले से गहरे सवालों के घेरे में आ गया है। यह मामला न केवल सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार से सार्वजनिक योजनाओं को नुकसान पहुंच सकता है।

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